

सरहद पार गए येपरिंदे
जानेअनजाने से, कुछ नादान से
यकीन नहींआया उनको की
एक दिन मतलूब हासिल होगा
कामयाबी की लहर गुंज उठेगी
लपेट लेगी अपनेहोशोहवाज़ में|
जानेअनजाने, चल पड़ेउस ओर
ना थी दुश्मनी, ना था शोर
बस निकल लिए घर छोड़के
भटकतेहुए चल पड़ेउस ओर|
आसमान मेंगुंजी जीत की लहर
उसी लहर नेएक बार फिर
लपेट लिया उन्हें,
इस बार,
वहीँनादान परिंदे, जश्न मनातेहुए
उस जीत की तरफ कदम बढ़ातेहुए
पहुंचे, उछले, रोये, लिपटे
वेभलेवहांपहुँच नहींपायेलेकिन
जीत उन्ही की थी|
सरहद पार कर चुकेथेवे,
शव भलेजमीन सेलिपटेहुए
लेकिन आत्मा जा बैठी उस ओर
जहांसिर्फ जीत की ख़ुशी का शोर
गुंज रहा था चारोंओर
भला हो उन परिंदो का
हार न माननेवालेथेवे
नादान, खामोश, फिर भी ठहाकोंकेसाथ
ख़ुशी मनातेहुए
चल पड़ेवेउस ओर
चल पड़ेवेउस ओर|
–Angelina L. Gokhale