

— प्रसेनजित सेन
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यह है एक शिक्षा परिवेश अनन्य
योगदान करके होंगे आप धन्य ||
उच्चमान ,भावधारा से है यह पुष्ट
अध्यनरत छात्र- छात्री अतिशय तुष्ट ||
कंप्यूटर प्रयोगशाला है सुगठित और आधुनिक
पाठ् क्रम सुचिंतित , विधि धारा प्रथागत वैज्ञानिक ||
प्रांगण आलोकित , हास्य -मुखर अभिनव विनोदन
कभी दुर्दम क्रीड़ा , कभी नृत्य नाट्य या गीतिमय गुंजन ||
दैनिक जीवन यहाँ एक अनुपम छंद
प्रगति मंद -ताल कभी , कभी प्राणमय तरंग ||
दिशा मेरा – होना है सार्थक मानव , आत्म-विकास
पर्यावरण रक्षा ,मानव सेवा से करते हम इनका प्रकाश ||
करना है विस्तार उच्च मानवता का सौरभ
महान चेतना , एक अपार्थिव प्रज्ञा , दैव्य वैभव ||
देखेंगे हम यहाँ एक अपरूप प्रकृति – वैभव
तुम्हारा स्पर्श , हे सृष्टिकर्ता ! एक अपार्थिव अनुभव