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Poetry Team Reflections

Ek Parinda (Zindagi) – Sachin

लिख रहा हूँ कुछ पन्नो पर कुछ खाली रह गए हैं, बाग कोई दिखता नहीं शहर में तो बस अब माली रह गए हैं !! उड़ता परिंदा आसमां मे देखो आज कैसे पंखो का कत्ल कर रहा, जिंदगी पीछे खींचती रही और मंजिले आगे कुछ यूं वो जिंदगी भर एक सफर पर रहा !! निकला […]

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