Hindi

Poetry Team Reflections

Ek Parinda (Zindagi) – Sachin

लिख रहा हूँ कुछ पन्नो पर कुछ खाली रह गए हैं, बाग कोई दिखता नहीं शहर में तो बस अब माली रह गए हैं !! उड़ता परिंदा आसमां मे देखो आज कैसे पंखो का कत्ल कर रहा, जिंदगी पीछे खींचती रही और मंजिले आगे कुछ यूं वो जिंदगी भर एक सफर पर रहा !! निकला […]

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Poetry

सरहद पार गए ये परिंदे

सरहद पार गए येपरिंदे जानेअनजाने से, कुछ नादान से यकीन नहींआया उनको की एक दिन मतलूब हासिल होगा कामयाबी की लहर गुंज उठेगी लपेट लेगी अपनेहोशोहवाज़ में| जानेअनजाने, चल पड़ेउस ओर ना थी दुश्मनी, ना था शोर बस निकल लिए घर छोड़के भटकतेहुए चल पड़ेउस ओर| आसमान मेंगुंजी जीत की लहर उसी लहर नेएक बार […]

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